O’ Pickles please let us know the name of the lady lawyer you profusely thanked after the July 3rd hearing. Though she had not even appeared in the matter, why were you trying so hard to ingratiate with her? Do you think she has saved or can save your dirty skin? May the curse of the Mother afflict you if you are again playing some dirty tricks. We’ll leave no stone un-turned in exposing you and your shenanigans.
प्रिये याचिकाकर्ताओं,
अगर आप कानून के विपरीत जायेंगे तो मिराम्बिका में ताला लगवाएंगे।
बच्चों के लिए सही व्यवस्था माँग सकते हो, हर्जाना मांग सकते हो, कथित तौर पर भ्रष्ट अधिकारी और स्कूल प्रबंधन को हटवा सकते हो, पर कॉलेज की ज़मीन पर नहीं चल सकता विद्यालय, यही कानून है। यह बात समझ गए तो होगी जीत।
या फिर कानून बदलवा लो और चला लो विद्यालय।
शुक्र मनाओ की जज साहेब ने ये नहीं पुछा की क्या आपका दिमाग घास चरने गया है जो की करीब दस एकर कॉलेज की सर्व-श्रेष्ठ ज़मीन पर चलाना चाहते हो मात्र १४९, वह भी ज्यादातर संभ्रांत व्यक्ति का विद्यालय ?
माना की हुई है तुम्हारे बच्चोें के साथ बेईमानी। मिलनी चाहिए कुछ मूर्खो को सजा। लेकिन, गैरकानूनी तरीके से थो विद्यालय नहीं चलाया जा सकता ! मामला सिर्फ इतना हे की बच्चोें को मिलनी चहीहे पड़ने की सही व्यवस्था। मेरे हिसाब से वह जगह है मदर हेल्थ सेंटर के ३ खंड।
शिक्षा डायरेक्टर के बच्चे पढ़ते हैं मदर इंटरनेशनल स्कूल में। दाखिला हुआ प्रबंधन कोटे से। सोचते हो की शिक्षा विभाग सही निरक्षण करेगा ?
अभी भी वक्त हे। न्यालय से बोलो, नहीं भरोसा शिक्षा विभाग पर !
विद्यालय हो मदर हेल्थ सेंटर में। मदर हेल्थ सेंटर हो जहाँ विद्यालय हे अब।
एक जमाने में मदर हेल्थ सेंटर यहीं था।
और मैनेजमेंट दे पूरा ब्यौरा की खाली की गयी ज़मीन का क्या करेगी?
लिखित में दे की नहीं होगा इंजीनियरिंग कॉलेज में मैनेजमेंट कोटा।
नहीं होगा नोटों के बल पर दाखिला।
एक और तरीका है।
भूमि पट्टा बदला जा सकता है अगर स्कूल प्रबंधन याचिका लगाये।
तब सवाल होगा की क्या करीब १० वर्गगज़ की ज़मीन पर चलेगा मात्र १४९ बच्चो का विद्यालय और उसको चलाने के लिए पैसा कहाँ से आएगा ?
कोई योजना है ?
ये मसला लड़ाई झगड़े से सुलझने वाला नहीं।
इसको मिराम्बिका के सभी पक्ष खुद सुलझाये तोह बेहतर है।
बहकावे में मत आओ और वर्थ बातो में समय ना गवाओ।
इस शनिवार सुबह १० बजे सभी पक्षों की सभा बुलाओ।
खुले दिमाग से आओ और समस्या का समाधान निकालो।
नहीं तो सब एक दूसरे से लड़ते रहो।
मंगा से निबटने के लिए थो जिंदगी पड़ी है !
धन्यवाद !
__________________________
यह मुकाबला है बड़ा दिलचस्प !
शैतान बनाम शैतान ?
कौन किससे बड़ा ?
लगे रहो, या दिमाग की बत्ती जलाओ !
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लगे रहो……
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TIPU aka SaveMirambika?
लगे रहो……
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प्रिये याचिकाकर्ताओं,
अगर आप कानून के विपरीत जायेंगे तो मिराम्बिका में ताला लगवाएंगे।
आप दिल्ली विकास प्राधिकरण से दिल्ली उच्च न्यालय में शपथ पत्र मांग ले की कॉलेज की ज़मीन पे विद्यालय चलाने में उनको कोई एतराज नहीं, और वह पट्टा विलेख का उल्लंघन नहीं।
कानूनी राय अगर कारण बताओ नोटिस के विपरीत है तो जाहिर है की खारिज कर दी गयी है। कानूनी राय मात्र एक विभागीय आंतरिक चर्चा का दस्तावेज है। अगर कानूनी राय सही है तो दिल्ली विकास प्राधिकरण को शपथ पत्र देने में कोई एतराज नहीं होना चाहिए।
बच्चों के लिए सही व्यवस्था माँग सकते हो, हर्जाना मांग सकते हो, कथित तौर पर भ्रष्ट अधिकारी और स्कूल प्रबंधन को हटवा सकते हो, पर कॉलेज की ज़मीन पर नहीं चल सकता विद्यालय, यही कानून है। यह बात समझ गए तो होगी जीत।
या फिर कानून बदलवा लो और चला लो विद्यालय।
शुक्र मनाओ की जज साहेब ने ये नहीं पुछा की क्या आपका दिमाग घास चरने गया है जो की करीब दस एकर कॉलेज की सर्व-श्रेष्ठ ज़मीन पर चलाना चाहते हो मात्र १४९, वह भी ज्यादातर संभ्रांत व्यक्ति का विद्यालय ?
माना की हुई है तुम्हारे बच्चोें के साथ बेईमानी। मिलनी चाहिए कुछ मूर्खो को सजा। लेकिन, गैरकानूनी तरीके से थो विद्यालय नहीं चलाया जा सकता ! मामला सिर्फ इतना हे की बच्चोें को मिलनी चहीहे पड़ने की सही व्यवस्था। मेरे हिसाब से वह जगह है मदर हेल्थ सेंटर के ३ खंड।
शिक्षा डायरेक्टर के बच्चे पढ़ते हैं मदर इंटरनेशनल स्कूल में। दाखिला हुआ प्रबंधन कोटे से। सोचते हो की शिक्षा विभाग सही निरक्षण करेगा ?
अभी भी वक्त हे। न्यालय से बोलो, नहीं भरोसा शिक्षा विभाग पर !
विद्यालय हो मदर हेल्थ सेंटर में। मदर हेल्थ सेंटर हो जहाँ विद्यालय हे अब।
एक जमाने में मदर हेल्थ सेंटर यहीं था।
और मैनेजमेंट दे पूरा ब्यौरा की खाली की गयी ज़मीन का क्या करेगी?
लिखित में दे की नहीं होगा इंजीनियरिंग कॉलेज में मैनेजमेंट कोटा।
नहीं होगा नोटों के बल पर दाखिला।
एक और तरीका है।
भूमि पट्टा बदला जा सकता है अगर स्कूल प्रबंधन याचिका लगाये।
तब सवाल होगा की क्या करीब १० वर्गगज़ की ज़मीन पर चलेगा मात्र १४९ बच्चो का विद्यालय और उसको चलाने के लिए पैसा कहाँ से आएगा ?
कोई योजना है ?
ये मसला लड़ाई झगड़े से सुलझने वाला नहीं।
इसको मिराम्बिका के सभी पक्ष खुद सुलझाये तोह बेहतर है।
बहकावे में मत आओ और वर्थ बातो में समय ना गवाओ।
इस शनिवार सुबह १० बजे सभी पक्षों की सभा बुलाओ।
खुले दिमाग से आओ और समस्या का समाधान निकालो।
नहीं तो सब एक दूसरे से लड़ते रहो।
मंगा से निबटने के लिए थो जिंदगी पड़ी है !
धन्यवाद !
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यह मुकाबला है बड़ा दिलचस्प !
शैतान बनाम शैतान ?
कौन किससे बड़ा ?
लगे रहो, या दिमाग की बत्ती जलाओ !
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